असीम अरुण का जन्म व पालन-पोषण उत्तर प्रदेश में हुआ जहां उनके स्वर्गीय पिता श्री श्रीराम अरुण एक IPS अधिकारी रहे। उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली में अध्ययन किया और 1994 में वे भारतीय पुलिस सेवा में आ गए। बाद में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया, कनाडा से एम. ए० (पब्लिक पॉलिसी) भी प्राप्त की। उनकी मां श्रीमती शशी अरुण जानी-मानी लेखिका व समाज सेविका थीं।
उनकी धर्मपत्नी ज्योत्सना एक प्रतिष्ठित लेखिका व रेडियो होस्ट हैं। उनके दो प्रतिभाशाली पुत्र हैं। उनका परिवार ग्राम खैरनगर, तिर्वा, कन्नौज (उत्तर प्रदेश) के एक साधारण परिवेश से है। असीम के पूरे परिवार ने देश भक्ति के साथ सदैव उच्च नैतिक व्यवहारिक व विशेषज्ञता के मूल्यों का पालन किया है।
असीम अरुण का लगभग तीन दशकों का बहुआयामी और अत्यंत सफल करियर रहा है। उन्होंने टिहरी गढ़वाल, बलरामपुर, हाथरस, सिद्धार्थनगर, अलीगढ़, गोरखपुर व आगरा जिलों में पुलिस प्रमुख का उत्तरदायित्व सफलतापूर्वक निर्वहन किया है। उनकी अंतिम तैनाती पुलिस कमिश्नर कानपुर के पद पर रही है।
असीम ने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सर्विस की परीक्षा में आईपीएस को प्रथम विकल्प दिया था जो उन्हे मिला भी।
असीम राष्ट्रीय सुरक्षा गारद (एन०एस०जी०) से ब्लैक कैट कमांडो प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले पहले आईपीएस अधिकारी 2004 में बने। तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह की क्लोज़ प्रोटेक्शन टीम के उत्तरदायित्वों का उन्होंने अत्यंत सफलतापूर्वक निर्वहन किया।
संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा बल में कार्य के दौरान उन्हें अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा का बहुमूल्य अनुभव प्राप्त हुआ। आतंकवाद निरोधक दस्ता (ए०टी०एस०), उत्तर प्रदेश के प्रमुख के रूप मार्च 2017 में लखनऊ में ISIS का आतंकी सैफउल्लाह मारा गया, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति के वीरता पदक से सम्मानित किया गया।
उत्तर प्रदेश में पुलिस कंट्रोल रूम के आधुनिकीकरण के लिए अलीगढ़ में सेवा 100 विकसित की जिसका विस्तार उन्होंने गोरखपुर और आगरा में भी किया। इस प्रणाली को विस्तृत करते हुए लखनऊ,कानपुर नगर, प्रयागराज और गाज़ियाबाद में आधुनिक पुलिस कंट्रोल रूम बनाये गए। यू०पी० 112 आपात सेवा के नियोजन में उनका योगदान रहा तथा 2019-2021 में यू०पी० 112 के मुखिया रहे। इस अवधि में कोविड-19 के नियंत्रण का बड़ा कार्य यू०पी० 112 द्वारा किया गया।